चेन्नई। अजीत कुमार | दक्षिण भारत में लगातार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दौरे के बाद भी बीजेपी के पक्ष में हवा बनती नहीं दिख रही है। जबकि यह माना जा रहा था, कि मोदी के दौरे और अन्नामलाई की मेहनत का रंग दिखेगा। लेकिन एम के स्टालिन के सामने ऐसी तस्वीर बनती नहीं दिख रही है। वोट शेयर की बात करें तो बीजेपी को इंडिया गठबंधन के सामने चुनौती खड़ी करने के लिए और पसीना बहाना पड़ेगा। दक्षिण भारत के राज्यो में तमिलनाडु बीजेपी के लिए राजनीति के दृष्टि से अधिक महत्वपूर्ण है।
तमिलनाडु में लोकसभा चुनाव 2019 में डीएमके गठबंधन ने राज्य की 39 लोकसभा सीटों में से 38 सीटों पर जीत हासिल की थी। जबकि एआईएडीएमके गठबंधन को सिर्फ एक सीट पर जीत मिली थी। इस बार राजनीतिक हालात अलग हैं क्योंकि पिछले चुनाव तक काफी मजबूत स्थिति में रही एआईएडीएमके इस बार टूट की शिकार है। पार्टी के अंदर पूर्व मुख्यमंत्री पलानीस्वामी और पनीरसेल्वम के धड़े अलग.अलग हैं और पार्टी पनीरसेल्वम को बाहर का रास्ता दिखा चुकी है। इससे निश्चित रूप से एआईएडीएमके कमजोर हुई है।दूसरी ओर बीजेपी भी इस बार राज्य में मजबूत गठबंधन बनाकर चुनाव मैदान में उतर रही है।
गठबंधन में कौन-कौन से हैं दल..
विपक्षी दलों के गठबंधन इंडिया की अगुवाई तमिलनाडु में डीएमके कर रहा है। तमिलनाडु में इंडिया गठबंधन में डीएमके के अलावा कांग्रेस, सीपीआई, सीपीएम, वीसीके एमडीएमके और केएमडीके शामिल हैं। जबकि एआईएडीएमके गठबंधन में डीएमडीके, एसडीपीआई और पीटीके शामिल हैं।
सियासी तस्वीर बदल गयी..बीजेपी के नेतृत्व वाले तीसरे गठबंधन में पीएमके, टीएमसी और एएमएमके शामिल हैं। अगर इन पार्टियों के 2019 के प्रदर्शन को देखें तो डीएमके गठबंधन वोट शेयर के मामले में काफी आगे था। तब एआईएडीएमके और बीजेपी ने 2019 का चुनाव एक साथ लड़ा था लेकिन इस बार ऐसा नहीं है। डीएमके गठबंधन को साल 2019 में 52.5 प्रतिशत वोट मिले थे। इसमें भी डीएमके को 33.1 प्रतिशट वोट मिले थे। लेकिन साल 2019 के लिहाज से देखें तो एआईएडीएमके गठबंधन को,तब बीजेपी साथ थी,को 21.3 प्रतिशत वोट मिले थे। इसमें से एआईएडीएमके ने अकेले 19.1 प्रतिशत वोट हासिल किए थे। जबकि बीजेपी और वे दल जो उसके साथ इस बार गठबंधन में शामिल हैं, उन्हें कुल 9.4 प्रतिशत वोट मिले थे। यह साफ है कि बीजेपी और एआईएडीएमके गठबंधन के कुल वोट को मिला दें तो भी यह डीएमके गठबंधन से काफी कम हैं।
एआईएडीएमके के लिए अहम है चुनाव
पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता की बेहद करीबी मानी जाने वालीं शशिकला के भतीजे दिनाकरन भी इस बार बीजेपी गठबंधन के साथ मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं। एआईएडीएमके में जयललिता के बाद शशिकला ही सबसे बड़ा चेहरा थीं। हालांकि मौजूदा वक्त में शशिकला राजनीतिक रूप से सक्रिय नहीं हैं लेकिन उनका एआईएडीएमके के साथ ना होना पार्टी के लिए अच्छा नहीं है। निश्चित रूप से यह कहा जा सकता है कि एआईएडीएमके के राजनीतिक भविष्य के लिए यह लोकसभा चुनाव बहुत महत्वपूर्ण है। लेकिन एआईएडीएमके का प्रदर्शन अगर और खराब होता है तो इसका सीधा फायदा मुख्यमंत्री एमके स्टालिन की डीएमके को होगा।
बीजेपी के गठबंधन बनाकर चुनाव मैदान में उतरने से क्या डीएमके गठबंधन के सामने वाकई कोई चुनौती है। आंकड़ों के आधार पर देखें तो तमिलनाडु में बीजेपी एक मजबूत राजनीतिक दल नहीं है। साल 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को मात्र 3.66 प्रतिशत वोट मिले थे और 2021 के विधानसभा चुनाव में उसे सिर्फ 2.6 प्रतिशत वोट मिले थे। गठबंधन में चुनाव लड़ते हुए भी वह 20 सीटों पर चुनाव लड़ने के बाद भी सिर्फ 4 सीटें जीत सकी थी।
मोदी का फोकस तमिलनाडु पर..
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले कुछ महीनों में तमिलनाडु की राजनीति पर विशेष फोकस किया है। प्रधानमंत्री मोदी ने काशी तमिल संगमम के जरिए तमिल मतदाताओं को बीजेपी से जोड़ने की कोशिश की है। उन्होंने तमिलनाडु में कई मंदिरों का दौरा किया है। इसके अलावा बीजेपी की तमिलनाडु इकाई के अध्यक्ष के अन्नामलाई ने पूरे राज्य की यात्रा की है।
बीजेपी को उम्मीद है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दक्षिण में किए गए ताबड़तोड़ दौरे और अन्नामलाई की मेहनत जरूर रंग लाएगी। लेकिन वोट शेयर और सीट शेयर के लिहाज से देखें तो बीजेपी को इंडिया गठबंधन के सामने कोई बड़ी चुनौती खड़ी कर पाने के लिए और पसीना बहाना होगा।