छत्तीसगढ़ की बेटी श्रेया बनी पंजाब बॉलीबॉल अंडर-17 टीम की कप्तान: नेपाल में आयोजित नेशनल चैंपियनशिप में करेंगी टीम का नेतृत्व

गरियाबंद। छत्तीसगढ़ की 16 वर्षीय बेटी श्रेया यादव ने बॉलीबॉल में एक नई उपलब्धि हासिल की है। गरियाबंद के मैदान में बॉलीबॉल खेलना शुरू करने वाली श्रेया को अब पंजाब की अंडर-17 टीम के कप्तान के रूप में सलेक्ट किया गया है। आगामी अक्टूबर में नेपाल में आयोजित नेशनल बॉलीबॉल चैंपियनशिप में वह पंजाब का नेतृत्व करेंगी।

श्रेया विगत 22 से 24 अगस्त के बीच आगरा में आयोजित अंडर 17 बॉलीबॉल ओपन स्कूल चैंपियनशिप में पंजाब की ओर से खेल रही थी। जिसमें श्रेया और उनके सहयोगी खिलाड़ियों ने बेहतर प्रदर्शन कर पंजाब को गोल्ड मेडल दिलाया। श्रेया के इस प्रदर्शन के चलते उन्हें पंजाब टीम का कप्तान चुना गया है।

16 माह में अद्भुत प्रदर्शन

बता दें कि कक्षा 8वीं तक गरियाबंद के निजी स्कूल में पढ़ने वाली श्रेया जिला पंचायत के वरिष्ट क्लर्क सुनील यादव की सुपुत्री हैं। डेढ़ साल पहले बीसीजी डिफेंस एकेडमी के इंट्रेंस एग्जाम में क्वालीफाई कर श्रेया ने चंडीगढ़ के एलाइंस इंटरनेशनल स्कूल ज्वाइन किया। यहां पढ़ाई के दौरान उसने बॉलीबॉल में कई महत्वपूर्ण उपलब्धियां प्राप्त की हैं। अंडर-14 वर्ग में पठानकोट में आयोजित मैच में भी उन्होंने अपनी क्षमता का प्रदर्शन किया था।

श्रेया ने प्रथम गुरु को दिया श्रेय

पंजाब की अंडर-17 टीम के कप्तान के रूप में सलेक्ट होने पर श्रेया ने अपनी इस उपलब्धि का श्रेय अपने पहले गुरु, कोच सूरज महाडिक को दिया है। गरियाबंद के स्कूल मैदान पर अपने सहपाठियों के साथ प्रैक्टिस करते समय, बॉलीबॉल के द्रोणाचार्य कहे जाने वाले कोच महाडिक ने श्रेया की प्रतिभा को पहचाना और उन्हें टीम में महत्वपूर्ण स्थान दिया। उन्होंने श्रेया को खेल की तकनीकी पहलुओं के बारे में गहराई से ज्ञान प्रदान किया।

1 इंटरनेशनल और 40 से नेशनल खिलाड़ियों को तैयार कर चुके है सूरज महाडिक

गौरतलब है कि 70 के दशक में गरियाबंद में बॉलीबॉल की नींव रखी गई थी, उस समय दूसरे बैच से खेलने वाले सूरज महाडिक और उनके कुछ साथियों ने इसे आगे बढ़ाने का बीड़ा उठाया। महाडिक के प्रशिक्षण में कई खिलाड़ियों ने उत्कृष्टता प्राप्त की, जिनमें ज्योति भावतेकर 2006 में अंतरराष्ट्रीय टीम में शामिल हुए। सचिन गुमास्ता ने 20 से ज्यादा बार नेशनल चैंपियनशिप में अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कर अर्जुन पुरस्कार जीते।

नेशनल चैंपियनशिप में अर्जुन पुरस्कार जीतने वाले सचिन गुमास्ता

90 के दशक में हरमेश चावड़ा और विकास रोहरा की टीम ने नवभारत ट्रॉफी में तीन साल लगातार जीत दर्ज की।अब तक, गरियाबंद के मैदान ने 40 से ज्यादा नेशनल खिलाड़ी तैयार किए हैं। वर्तमान में, जिला प्रशासन और कान्हा क्लब मिलकर 150 से अधिक युवा खिलाड़ियों को विभिन्न मैदानों में बॉलीबॉल का प्रशिक्षण दे रहे हैं। 90 के दशक के बेहतरीन खिलाड़ी और शिक्षक संजू साहू भी अपने अनुभव से नए खिलाड़ियों को मार्गदर्शन प्रदान कर रहे हैं।

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