आरटीआई में हुआ बड़ा खुलासा :  कमिश्नर संभाग की जांच में दोष सिद्ध

रीवा | समशेर सिंह गहवार | हाल ही में एक आरटीआई में चौकाने वाला खुलासा हुआ। जिसके बाद रीवा संभाग से लेकर पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग भोपाल तक तहलका मच गया । मामला काफी गंभीर किस्म का है , जिसको लेकर कार्यवाहियां भी तेज हो गयी है। अमूमन ऐसे मामले कम ही देखने को मिलते हैं लेकिन भला हो आरटीआई कानून का, जिसके कारण फर्जी डिग्री सर्टिफिकेट को लेकर एक बार पुनः बड़ा खुलासा हुआ।

इस बार बारी ग्रामीण यांत्रिकी सेवा संभाग रीवा क्रमांक 01 में पदस्थ प्रभारी कार्यपालन यंत्री टीपी गुर्दवान का सामने आया है।  अपने कार्यकाल के दौरान प्राप्त इनकी ए.एम.आई.ई. (सिविल इंजीनियरिंग भाग ए एवं बी) एवं एमए (सोशियोलॉजी) की डिग्री। सर्टिफिकेट में व्यापक गड़बड़ी और अनियमितता मिली।  जिसको लेकर गंभीर सवाल खड़े हुए हैं | 

  बिना अनुमति के ही हांसिल की फर्जी ए.एम.आई.ई. डिग्री:  आरटीआई में खुलासा हुआ कि कार्यपालन यंत्री ग्रामीण यांत्रिकी सेवा संभाग रीवा क्रमांक 01 रीवा टीपी गुर्द्वान।  प्रथम पत्र जिसमें कलेक्टर कार्यालय जिला सीधी मप्र के पत्र क्रमांक XXIII/04025/Dev-1-86 सीधी दिनांक 28/11/86 में उल्लेखित ए.एम.आई.ई. पार्ट -1 के शेष दो विषयों की परीक्षा दिसम्बर 86 (विंटर 86) के अंतिम सप्ताह में सम्मिलित होने की अनुमति मात्र एकबार प्रदान की गयी थी। परन्तु संलग्न ए.एम.आई.ई. की डिग्री अनुसार तत्कालीन उपयंत्री रहे, टीपी गुर्दवान को ए.एम.आई.ई. प्रथम भाग ए की परीक्षा उत्तीर्ण होना, समर 87 में बताया गया है।  इस प्रकार समर 87 में टीपी गुर्दवान को शासन की परीक्षा में बैठने सम्बन्धी कोई अनुमति नहीं होने से यह डिग्री शासन को अँधेरे में रखते हुए अवैधानिक ढंग से प्राप्त की गयी । 

ए.एम.आई.ई. सिविल इंजीनियरिंग में 4 विषय, दो की कब परीक्षा दी इसका भी पता नहीं ?           

   बताया गया की ए.एम.आई.ई. सेक्शन ए प्रथम भाग में कुल 4 विषय होते हैं। परन्तु तत्कालीन उपयंत्री रहे टीपी गुर्दवान द्वारा विंटर 86 के लिए मात्र दो विषयों की ही अनुमति कलेक्टर सीधी के उक्त प्रथम पत्र क्रमांक XXIII/04025/Dev-1-86 सीधी दिनांक 28/11/86 में ली गयी । जबकि शेष दो विषयों की परीक्षा बिना अनुमति के ही पूरी की गयी। अथवा कब अनुमति ली गई इसकी कोई जानकारी उपलब्ध नहीं कराई गयी है। अतः यह तथ्य बनना स्वाभाविक है की दो शेष विषयों की परीक्षा भी बिना अनुमति प्राप्ति के ही पूरी की गयी जो पूर्णतया अवैधानिक है। 

ए.एम.आई.ई. के पार्ट ए एवं बी की परीक्षा में भी किया फर्जीवाड़ा         

अपनी शिकायत में  बताया गया की प्रभारी कार्यपालन यंत्री ग्रामीण यांत्रिकी सेवा संभाग रीवा क्रमांक 01 रीवा टीपी गुर्दवान की आरटीआई से प्राप्त । द्वितीय पत्र जिसमे कलेक्टर कार्यालय जिला सीधी मप्र के पत्र क्रमांक XXIII/0516/Dev-1/88 सीधी दिनांक 27/05/88  में उल्लेखित  ए.एम.आई.ई. पार्ट -2 (अथवा बी) की परीक्षा समर सेशन जून/जुलाई 88 में स्वाध्यायी परीक्षार्थी के रूप में सम्मिलित होने की अनुमति कलेक्टर सीधी द्वारा प्रदान की गयी थी। . इस पत्र में कलेक्टर सीधी द्वारा समर सेशन जून/जुलाई 88 के लिए मात्र शासकीय कार्य प्रभावित न होने की स्थिति में अनुमति प्रदान की गयी । जबकि टीपी गुर्दवान द्वारा प्रदान की गयी ए.एम.आई.ई. की डिग्री में स्पष्ट तौर पर बी पार्ट की परीक्षा विंटर 1991 में उत्तीर्ण होना उल्लेखित है,। इस प्रकार स्पष्ट है की विकास खंड कुसुमी में पदस्थ रहे, तत्कालीन उपयंत्री टीपी गुर्दवान ने वरिष्ठ कलेक्टर कार्यालय सीधी को धोखे में रखते हुए मात्र जून/जुलाई 1988 की परीक्षा में बैठने सम्बन्धी अनुमति प्राप्त की। जबकि जून/जुलाई 1988 में ए.एम.आई.ई. पार्ट बी की परीक्षा उत्तीर्ण न कर पाने की दशा में इन्होने विंटर 1991 में परीक्षा उत्तीर्ण की। आरोप है कि विंटर 1991 में परीक्षा में बैठने की कोई अनुमति वरिष्ठ कलेक्टर कार्यालय से प्राप्त नहीं की। जो की पूर्णतया अवैधानिक नियम विरुद्ध कृत्य है ।  लोक सेवा आचरण के नियमो के विपरीत है। इस प्रकार इनकी बिना अनुमति प्राप्त ए.एम.आई.ई. सिविल इंजीनियरिंग भाग ए एवं बी की डिग्री से प्राप्त एसडीओ का प्रमोशन निरस्त योग्य है । 

सेवा पुस्तिका में भी किया गया हेरफेर:                 

 शिकायत में उल्लेख किया गया है की प्रभारी कार्यपालन यंत्री ग्रामीण यांत्रिकी। सेवा संभाग रीवा क्रमांक 01 रीवा से आरटीआई से प्राप्त गुर्दवान के शैक्षणिक योग्यता सम्बन्धी दस्तावेजों में। इनकी बीए और एमए की डिग्री हासिल करने सम्बन्धी कोई भी अनुमति सम्बन्धी अभिलेख उपलब्ध नहीं कराये गए। वहीं आरटीआई से प्राप्त दस्तावेजों में उल्लेख किया गया की नॉन-टेक्निकल डिग्री के लिए अनुमति लेने की आवश्यकता नहीं होती ।जबकि जानकारों की मानें तो नौकरी के दौरान किसी भी प्रकार की डिग्री । बिना शासन को जानकारी दिए। बिना प्रॉपर अनुमति प्राप्त नहीं कर सकते। जबकि इनके द्वारा इनकी सेवा पुस्तिका में प्रथम पृष्ठ जहां की शैक्षणिक योग्यता का कालम दिया है। वहां अंतिम लाइन में इनके हस्ताक्षर के साथ नियुक्ति के समय शैक्षणिक योग्यता” के कालम में एमए सोशियोलॉजी ए.पी.एस.यू. रीवा से किया जाना उल्लेखित है। जो की अवैधानिक है?  क्योंकि इनके द्वारा बिना अनुमति/छुट्टी के ही परीक्षा में सम्मिलित होना पाया गया। जिस कालम में नियुक्ति के समय शैक्षणिक योग्यता भरी जानी चाहिए थी । वहां इनकी नियुक्ति के बाद की एमए डिग्री की शैक्षणिक योग्यता भरी गयी है। शिकायत कर्ता  ने आरोप लगाए गए हैं की कार्यपालन यंत्री गुर्दवान द्वारा सेवा पुस्तिका के प्रथम दो पृष्ठों में प्रथम।

हस्ताक्षर वर्ष 1984 में दर्ज होना पाया गया है। जिसका तात्पर्य यह है की इनकी नियुक्ति 1984 अथवा इसके पहले हुयी है। लेकिन नियुक्ति के समय शैक्षणिक योग्यता वाले कालम में एम.ए डिग्री (वर्ष 1994 एवं 95) ए.पी.एस.यू. से सोशियोलॉजी में प्राप्त होना बताया गया है।  इस प्रकार स्पष्ट है की टीपी  गुर्दवान वर्तमान प्रभारी कार्यपालन यंत्री आर ई एस संभाग क्रमांक 01 रीवा द्वारा। अवैधानिक एवं सिविल सेवा आचरण के नियमो के विरुद्ध ।सेवा पुस्तिका में भी छेड़छाड़ करते हुए नियुक्ति के बाद अवैधानिक ढंग से प्राप्त की गयी। डिग्री को नियुक्ति के समय बताकर सेवा पुस्तिका में दर्ज कराया गया। शिकायत की गयी है की गुर्दवान द्वारा ऐसा कृत्य जानबूझकर किया गया। जिसके प्रमाण के तौर पर उसी सेवा पुस्तिका में शैक्षणिक योग्यता वाले कालम के ठीक नीचे इनके स्वयं के वर्ष क्रमशः 1989, 95 एवं 99 में भी हस्ताक्षर मौजूद हैं। जो गंभीर कदाचरण का विषय होकर विभागीय जाँच के साथ ऐसे कृत्य पर एफआईआर दर्ज किया जाने की माग की गयी है।

 कमिश्नर रीवा संभाग से की गयी शिकायत , बैठी जांच   

शिकायतकर्ता की शिकायत के बाद कमिश्नर रीवा संभाग ने अधीक्षण यंत्री ग्रामीण यांत्रिकी सेवा संभाग रीवा अतुल चतुर्वेदी को पत्र जारी कर जाँच प्रतिवेदन मागा गया था। जिस पर एसई अतुल चतुर्वेदी ने जांच को लंबित करने और घुमाने के उद्येश्य से अपनी जाँच रिपोर्ट कमिश्नर रीवा संभाग को देने के बजाय ईएनसी आरईएस भोपाल को। कई पत्र जैसे पत्र क्रमांक 391 दिनांक 19/06/2024, पत्र 716 दिनांक 05/08/2024, पत्र 1013 दिनांक 30/09/2024 जारी कर ई.एन.सी से ही मार्गदर्शन मांगा। . जब इस व्यापक भ्रष्टाचार में लिप्त ई.एन.सी आर.ई.एस भोपाल से भी कोई मार्गदर्शन प्राप्त न हुआ तो एस.ई आर.ई.एस रीवा संभाग चतुर्वेदी ने पत्र क्रमांक 1011 दिनांक 30/09/2024 ई.ई. टीपी गुर्दवान को जारी किया । और इसके बाद ई.ई. गुर्दवान को दिनांक 04/10/2024 को पत्र क्रमांक 1047 के माध्यम से कारण बताओ सूचना पत्र जारी कर दिया। जिसका अब तक कोई जबाब ई.ई. टीपी गुर्दवान द्वारा एस.ई. को नहीं दिया जा सका। 

जून-जुलाई 2025 में प्रभारी ई.ई. गुर्दवान का है रिटायरमेंट

 शिकायतकर्ता एवं वरिष्ठ एक्टिविस्ट शिवानंद द्विवेदी ने कार्यपालन यंत्री के डिग्री पर सवाल उठाते हुए बताया कि  ए.एम.आई.ई. डिग्री फर्जी के मास्टरमाइंड प्रभारी कार्यपालन यंत्री टीपी गुर्दवान का। इसी वर्ष जून जुलाई 2025 में रिटायरमेंट है।  बड़ा सवाल यह है कि कैसे वर्ष 1988-89 से लेकर आज तक टीपी गुर्दवान नौकरी करते आये ?  कैसे इनका प्रमोशन उपयंत्री कुसुमी के पद से एस.डी.ओ. में हुआ? कैसे इतना बड़ा राज अब तक छुपा रहा और कैसे इनके विभागीय अधिकारियों से लेकर सर्विस बुक में दर्ज होने तक यह सब बातें दबाई जाती रहीं? कैसे यू.पी.एस.सी. की डीपीसी बैठक में इनके प्रमोशन पर मोहर लगी और कैसे बड़े बड़े अधिकारियों का इस बड़े फर्जी वाड़े में ध्यान तक नहीं गया? जानकारों  की मानें तो यह एक गंभीर मामला है जिस पर सम्बंधित की बर्खास्तगी से लेकर एफ आई आर आर तक दर्ज किया जाकर विभागीय जाँच बैठानी चाहिए |

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