नई दिल्ली। पंजाब-पाकिस्तान सीमा पर बीएसएफ के जवानों ने इस साल अब तक 120 से ज्यादा ड्रोन मार गिराए हैं, जिनका इस्तेमाल सीमा पार से ड्रग्स की तस्करी के लिए किया जा रहा था। बढ़ते ड्रोन खतरों को देखते हुए बीएसएफ ने सीमा पर सुरक्षा को और मजबूत करने के लिए अतिरिक्त बटालियन की तैनाती की मांग की है।
पंजाब की पाकिस्तान से सटी सीमा हमेशा से आतंकियों की घुसपैठ का प्रमुख केंद्र रही है। इस इलाके में ड्रग्स और गोला-बारूद की तस्करी रोकने के लिए बीएसएफ ने कड़े कदम उठाए हैं। बीएसएफ का मानना है कि अतिरिक्त बटालियन की तैनाती से सीमा की सुरक्षा में और भी बढ़ोतरी होगी, जिससे घुसपैठ को अधिक प्रभावी ढंग से रोका जा सकेगा।
बीएसएफ के पास मौजूदा समय में 20 बटालियन
बीएसएफ के पास पंजाब में 500 किलोमीटर से ज्यादा लंबी सीमा की सुरक्षा के लिए कुल 20 बटालियन हैं, जिनमें से 18 सक्रिय रूप से सीमा पर तैनात हैं। बाकी बटालियन अमृतसर के अटारी चेक पोस्ट और गुरदासपुर जिले के डेरा बाबा नानक में करतारपुर कॉरिडोर की सुरक्षा में जुटी हुई हैं। पंजाब और पाकिस्तान के बीच सीमा पर ड्रोन का खतरा 2019-20 से ही बढ़ता जा रहा है, खासकर अमृतसर और तरनतारन के सीमावर्ती इलाकों में। बीएसएफ के अधिकारियों ने केंद्रीय गृह मंत्रालय से इस खतरे को ध्यान में रखते हुए एक और बटालियन की तैनाती की मांग की है, जिस पर विचार किया जा रहा है।
सीमा पार से ड्रोन के जरिए ड्रग्स की तस्करी
बीएसएफ के पंजाब फ्रंटियर के महानिरीक्षक अतुल फुलजेले ने हाल ही में कहा कि अब सीमा पार से ड्रग्स ड्रोन के जरिए हवाई मार्ग से पंजाब में पहुंचाए जा रहे हैं, जबकि पहले ये तस्करी जमीनी मार्ग से होती थी।
इस साल गिराए गए 120 ड्रोन
आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, इस साल अब तक बीएसएफ ने पंजाब बॉर्डर पर 120 से ज्यादा ड्रोन गिराए हैं, जबकि पिछले साल 2023 में 107 ड्रोन बरामद किए गए थे। अधिकारियों के अनुसार, बीएसएफ नदी क्षेत्रों की प्रभावी सुरक्षा के लिए और ज्यादा सैनिक तैनात करना चाहता है।
रावी और सतलुज पर बनाई जा रही 48 पुलिया
बीएसएफ ने पंजाब सीमा पर रावी और सतलुज नदियों पर 48 पुलिया बनाने का काम शुरू किया है, जिनमें से 25 का निर्माण पूरा हो चुका है। इन पुलियों पर सीवेज गेट और ताले लगाए गए हैं, जिनकी नियमित जांच बीएसएफ के गश्ती दल द्वारा की जा रही है। बीएसएफ का मानना है कि एक अतिरिक्त बटालियन की तैनाती से 800-900 कर्मियों की ऑपरेशनल ताकत बढ़ेगी, जिससे सीमा की सुरक्षा को और मजबूत किया जा सकेगा।