(रमेश कुमार‘रिपु’) राजनीति का रंग हमेशा एक सा नहीं होता है। वो गिरगिट की तरह बदलता रहता है। संभागीय मुख्यालय रीवा में बीजेपी की पार्टी का रंग भी विधान सभा चुनाव के बाद एकदम से बदल गया है। लोकसभा में हर विधान सभा के विधायक और पूर्व महापौर को सियासी लड़ाई की मोर्चेबंदी से बीजेपी ने दूर कर दिया है। इस वजह से लोकसभा की सियासी लड़ाई में बीजेपी अभी पीछे दिख रही है। उसकी वजह कई है। बीजेपी का दावा है, कि दो अप्रैल को मुख्यमंत्री मोहन यादव के आने के बाद गेरूआई राजनीति की पताका दिखने लगेगी। अभी सियासी बैठक और कार्यक्रम में कांग्रेस आगे है। लोकसभा की सियासी लड़ाई कांग्रेस से नीलम अभय मिश्रा के नाम की घोषणा होते ही डिप्टी सी.एम राजेन्द्र शुक्ला और अभय मिश्रा की हो गयी है। जनार्दन मिश्रा ने पूर्व पार्षदों को याद किया, मगर राजेन्द्र शुक्ला ने पूर्व महापौर को दरकिनार कर दिये हैं। जाहिर सी बात है डिप्टी सी.एम.जिस शहर में हो वहां का सियासी गिरगिट उनके अनुसार रंग नहीं बदला तो फिर कैसा पाॅवर और कैसी सियासत। दो अप्रैल को मुख्यमंत्री मोहन यादव रीवा में रहेंगे। जनार्दन मिश्रा नामांकन दाखिल करेंगे। और एक हूंकार भरेंगे,अबकि बार फिर मोदी सरकार।
मोदी सरकार चार सौ के पार होगी या नहीं,यह तो मोहन यादव भी नहीं जानते। इसलिए कि कांग्रेस यदि जीतने की रणनीति के साथ चुनाव लड़ी तो वह विधान सभा चुनाव के जीत के अनुसार कम से कम सात से दस सीट जीत सकती है। जबकि कमलनाथ कह रहे है, कांग्रेस 12 सीट जीतेगी।हर वार्डो में महिलाएं घूमेंगी..कांग्रेस की जन नेत्री कविता पांडे कहती हैं,नीलम मिश्रा के पर्चा दाखिल करने के बाद रीवा शहर के 45 वार्डो में महिला कांग्रेस नेत्रियों का प्रचार शुरू हो जाएगा। कांग्रेसी उत्साहित हैं। अभय मिश्रा के समय कांग्रेस को 52 हजार वोट मिला था और इंजीनियर राजेन्द्र शर्मा के समय कांग्रेस को 56 हजार वोट मिले। लोकसभा में कांग्रेस रीवा विधान सभा में 60 हजार ज्यादा वोट पाएगी। इस बार आठों विधान सभा में कांग्रेस का एक -एक कार्य कर्ता झूठे वायदे पर भारी साबित होगा।कांग्रेस प्रचार में आगे..कांग्रेस की चुनावी तैयारी बताती है कि इस बार की जंग सचमुच कुरूक्षेत्र का रण होने जा रहा है।यह डिजिटल युग का युद्ध है। और इस मामले में काग्रेस सबसे आगे है। यह कह सकते हैं,कि कांग्रेस दिमाग से चुनाव लड़ रही है। कांग्रेस ग्रामीण क्षेत्र में आगे है जबकि बीजेपी पीछे है। कांग्रेस आठों विधान में बैठक कर चुकी है। ब्लाक स्तर पर उसके कई विधान सभा में कार्यक्रम हो चुके हैं।
सेक्टर स्तर पर कार्यक्रम चल रहे हैं। सूचना तकनीक के इस चहचहाते दौर में कांग्रेस ज्यादा से ज्यादा मतदाताओं तक पहुंचने की कोशिश में लगी है। ग्रामीण क्षेत्र में सांसद जनार्दन मिश्रा के प्रति नाराजगी का आलम घना है। वहीं कांग्रेस उम्मीदवार नीलम अभय मिश्रा ग्रामीणों को कांग्रेस को वोट देने के लिए प्रेरित करने के लिए अभियान में जुटी हैं। जिला ग्रामीण कांग्रेस अध्यक्ष इंजीनियर राजेन्द्र शर्मा जिले भर में कांग्रेस के पक्ष में कार्यक्रम कराने और व्यक्तिगत संपर्क बना रहे हैं। आठों विधान सभा में कांग्रेस के प्रत्याशी बीजेपी को शिकस्त देने सांसद जनार्दन मिश्रा के नकारात्मक कामों का प्रचार कर रहे हैं। बीजेपी अपनी दुखती रगों की उधाड़े जाने से बचाने की चिंता कर रही है।कांग्रेस छोड़ेंगे…मुख्यमंत्री डाॅ. मोहन यादव दो अप्रैल को आएंगे। इस दिन कांग्रेस के दो बड़े नेता बीजेपी में शामिल होंगे। एक रीवा से डाॅ. मुजीब खान दूसरे सेमरिया विधान सभा से पूर्व विधान सभा प्रत्याशी। इन दोनों नेताओं के बीजेपी में जाने से बीजेपी को फायदा होगा। मुस्लिम वोटर अभी तक कांग्रेस को वोट करता आया है। इस बार बीजेपी को कर सकता है। मुसलमान हुकूमत में हिस्सेदार केवल चुनावी समझौते के जरिए बन सकता है।
मुल्क की कोई भी ऐसी पार्टी नहीं है,जिसे मुसलमानों ने वोट नहीं किया हो। इसके बावजूद नतीजा शून्य रहा। मुस्लिम वोट बीजेपी को सत्ता में आने से नहीं रोक सका। असल में सेकूलर वोटों का बंटवारा ही भाजपा को सत्ता में लाने का सबब बना। सीएए से मुस्लिम नाराज हैं। कोर्ट में याचिका भी दायर है।किधर मुसलमान वोटर…एक बार फिर रीवा जिले के 27 हजार मुसलमानों में मंथन चल रहा है,कि उनके वोट किधर जाएं। यदि बीजेपी बुरी है,तो भली पार्टी कौन है? क्या राजेन्द्र शुक्ला को देखकर बीजेपी को वोट कर दें? अभय मिश्रा कहते हैं,मुसलमानों में एक नई जागृति आ रही है। वे बीजेपी के लुभावने वादे और घोंषणाओं के सुनहरे जाल में नहीं फंसना चाहते। उन्हें एक सच्चे दोस्त की तालाश है। पूर्व मेयर वीरेन्द्र गुप्ता कहते हैं,पार्टी का प्रयास है,कि मुसलमान वोट बैंक की राजनीति से बाहर निकलकर आत्म विश्वास और राष्ट्रवाद की राजनीति की मुख्यधारा में आएं।
बीजेपी नहीं चाहती कि लोग उन्हें शक की नज़र से देखें।बबीता साकेत बाहर…कांग्रेस की गुड बुक में बबीता साकेत नहीं है। वो मनगवां विधान में संगठन का काम देख रहे रवि तिवारी की अक्सर खिलाफत करती फिरती है। कांग्रेस प्रत्याशी नीलम अभय मिश्रा ने फोन पर उससे बातें भी की। लेकिन वह यही कही कि वो बीजेपी में नहीं जा रही है। उसके मन में क्या चल रहा है, कोई नहीं जानता। लेकिन यह माना जा रहा है कि उसे कोई जवाबदारी देने से वो भीतरघात कर सकती है। उसके विधान सभा में कांग्रेस प्रत्याशी का गढ़,मनगवां,और लालगांव में कार्यक्रम हो चुके हैं और हो रहे हैं,लेकिन उसे खबर नहीं। कांग्रेस का कोई भी व्यक्ति उस पर भरोसा नहीं कर रहा है |
खासकर ब्राम्हण वोटर और कांग्रेस कार्य कर्ता ।जाहिर सी बात है कि कांग्रेस लोकसभा का चुनाव दिमाग से लड़ रही है,वहीं बीजेपी मोदी के नाम पर। बीजेपी एक व्यक्ति के भरोसे सारा दांव लगाने का लोभ संवरण नहीं कर पा रही है। जबकि कांग्रेस प्रत्याशी नीलम अभय मिश्रा बीजेपी प्रत्याशी पर हमला करने में मुखर हैं। वो हर विधान सभा में बीजेपी के विधायकों को विकास,और युवाओं के रोजगार के साथ राष्ट्रीय मसले पर भी बात कर रही हैं। बीजेपी ने ईडी का डर दिखाकर कंपनियों से चंदा नहीं,रिश्वत ली। इलेक्टरोरेट बांड की सच्चाई देश के सामने आ गयी। सांसद जनार्दन मिश्रा ने अपनी जेबें भरी, रीवा की जनता की अनदेखी की। जाहिर सी बात है एक पार्टी की चमक दिख रही है,दूसरी पार्टी का अभी पता नहीं है। अभी केन न्यूज़ के नेशनल हेड रमेश कुमार ‘रिपु’ की रीवा से रिपोर्ट