अंग पर भी बुरा असर डाल सकता है वायरस एचएमपीवी : विशेषज्ञों ने किया सावधान

मुंबई | न्यूज़ डेस्क | एचएमपीवी के अधिकतर लक्षण और प्रवृत्ति कोविड-19 से मिलती-जुलती है, ऐसे में लोगों के मन में ये सवाल बना हुआ है क्या कोविड-19 की तरह एचएमपीवी भी फेफड़ों के अलावा शरीर के अन्य किसी अंग को प्रभावित कर रहा है? आइए इस बारे में जानते हैं।

इन दिनों अंतरराष्ट्रीय मीडिया की सुर्खियों में बना हुआ है। चीन से शुरू हुआ ये संक्रमण अब तक भारत-यूएस सहित कई अन्य देशों में फैल चुका है। ज्यादातर रिपोर्ट्स बताते हैं कि ये श्वसन तंत्र को अटैक करता है और सांस से संबंधित दिक्कतों का कारण बनता है। इसका सबसे ज्यादा असर पांच साल से कम आयु के बच्चों, 65 साल से अधिक के बुजुर्गों या फिर कमजोर इम्युनिटी वाले लोगों में देखा जा रहा है। रिपोर्ट्स से पता चलता है कि अब तक संक्रमण को लेकर अच्छी बात ये रही है कि ज्यादातर लोग आसानी से ठीक हो रहे हैं और वायरस के कारण गंभीर रोग विकसित होने का खतरा कम देखा जा रहा है।

एचएमपीवी के अधिकतर लक्षण और प्रवृत्ति कोविड-19 से मिलती-जुलती है, ऐसे में लोगों के मन में ये सवाल बना हुआ है क्या कोविड-19 की तरह ये वायरस भी फेफड़ों के अलावा शरीर के अन्य किसी अंग को प्रभावित कर रहा है? क्या ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस भी संक्रमितों में गंभीर जटिलताएं बढ़ाने वाला हो सकता है? इससे दीर्घकालिक रूप में किस तरह की समस्याओं का जोखिम हो सकता है आइए इस बारे में विस्तार से समझते हैं।

एचएमपीवी भले ही छह दशकों से अधिक समय से अस्तित्व में है और दो दशकों से अधिक समय से विशेषज्ञों को इस संक्रामक रोग के बारे में जानकारी है, फिर भी आम लोगों के लिए ये संक्रामक रोग अपेक्षाकृत नया है। चूंकि दुनियाभर ने हाल के वर्षों में कोविड-19 जैसे गंभीर महामारी भी झेली है ऐसे में छोटे स्तर के संक्रामक रोग भी लोगों को डरा रहे हैं।

बात ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस की करें तो पता चलता है कि इस वायरस में नया म्यूटेशन देखा गया है जो संभवत: इसके इस समय तेजी से बढ़ने का प्रमुख कारण भी माना जा रहा है। म्यूटेशन के कारण वायरस की प्रकृति में भी बदलाव को लेकर आशंका जताई जा रही है।स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, नए म्यूटेशन के कारण वायरस में हुए बदलाव को समझने के लिए अभी विस्तृत शोध का आवश्यकता है हालांकि कुछ रिपोर्ट्स में संक्रमितों में फेफड़े के अलावा अन्य अंगों पर भी इसके दुष्प्रभावों का पता चला है।

संक्रमण के कारण किडनी इंजरी का खतरा

वायरस को लेकर शोध कर रहे विशेषज्ञ कहते हैं, एचएमपीवी वैसे तो मुख्यरूप से श्वसन तंत्र को लक्षित करता है, लेकिन कई वायरल संक्रमणों की तरह, गंभीर मामलों में इसका अन्य अंगों पर भी प्रभाव पड़ सकता है। कुछ रिपोर्ट्स इस तरफ ध्यान आकृष्ट करते हैं कि संक्रमितों में गंभीर स्थितियों में किडनी से संबंधित दिक्कतों का भी खतरा हो सकता है। कुछ संक्रमितों में एचएमपीवी के कारण एक्यूट किडनी इंजरी (एकेआई) जैसी दिक्कतें भी देखी गई हैं, हालांकि इस तरह के जटिल मामलों की दर काफी कम है।

अध्ययन में क्या पता चला?

कुछ रिपोर्ट्स में एचएमपीवी के संक्रमण और किडनी की बीमारियों, मुख्यरूप से एकेआई के बीच संबंधों का पता चलता है। संयुक्त राज्य अमेरिका में अस्पताल में भर्ती बच्चों पर किए गए अध्ययन में बताया गया है कि कुछ मामलों में एचएमपीवी संक्रमण से एकेआई का जोखिम हो सकता है।

स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, एचएमपीवी सीधे तौर पर तो किडनी को नुकसान नहीं पहुंचाता है, लेकिन संक्रमण से उत्पन्न जटिलताओं के कारण इसके गंभीर रूप लेने का खतरा जरूर अधिक हो सकता है। इस तरह की समस्याओं के अधिकतर मामले उम्रदराज लोगों में संक्रमण के दौरान देखे जा रहे हैं।

बच्चों में रोग के खतरे को लेकर अलर्ट

एचएमपीवी की जटिलताओं को लेकर किए गए अध्ययन में बच्चों में संक्रमण का खतरा अधिक बताया जा रहा है। यूनिवर्सिटी ऑफ ईस्ट एंग्लिया, इंग्लैंड में मेडिकल प्रोफेसर डॉ पॉल हंटर कहते हैं, लगभग हर बच्चे को पांच साल की उम्र से पहले कम से कम एक बार एचएमपीवी का संक्रमण होगा। इतना ही नहीं जीवनभर में कई बार फिर इस संक्रमण का खतरा हो सकता है। ऐसा पिछले कई दशकों से चला आता रहा है, इसमें कुछ नया नहीं है। सुरक्षात्मक रूप से माता-पिता को बच्चों के लिए उपाय करते रहना जरूरी है।

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