नागपुर । एड अब्दुल अमानी कुरैशी। शनिवार को महाराष्ट्र विधानसभा का बहुप्रतीक्षित चुनाव परिणाम आ गया। प्रदेश की सभी 283 सीटों पर आए चुनाव परिणामों ने राज्य के राजनीतिक पंडितों की भविष्यवाणियों को भी झूठा साबित कर दिया । बीजेपी-शिवसेना (शिंदे) व एनसीपी (अजीत पवार) के गठबंधन वाली महायुती ने प्रचंड जीत दर्ज की है। हरियाणा की तरह महाराष्ट्र चुनाव में भी बटेंगे, तो करेंगे और एक हैं, तो सेफ हैं जैसे नारों का शोर खूब सुनाई दिया। इसका सीधा फायदा बीजेपी और महायुति को हुआ। वहीं, विपक्ष ने इन नारों की काट के रूप में न बंटेंगे, न कटेंगे जैसे नारे लगाए, लेकिन वे उत्तने लोकप्रिय नहीं हुए।बीजेपी ने महाराष्ट्र में इतिहास की सबसे बड़ी जीत दर्ज की। वहीं, विपक्षी महाविकास आघाडी अब तक के सबसे कम न्यूनतम स्कोर पर सिमट गई है। महाराष्ट्र की 288 विधानसभा सीटों में से महायुति 228, महाविकास आघाडी 47 और अन्य 13 सीटें जीतने में सफल रहे। महायुति में बीजेपी ने जहां अकेले 132 सीटें जीतीं, वहीं मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में पहला विधानसभा चुनाब लड़ रही शिवसेना ने 55 सीटें और अजित पवार की एनसीपी ने 41 सीटों पर जीत तर्ज की।राज्य विधानसभा में कुल 288 सीटों पर चुनाव हुए, जिनमें महायुती के बीजेपी-132, शिंदे गुट-57, अजित गुट-41 व महाविकास आघाडी के उद्धव सेना-20, कांग्रेस-16 और शरद पवार गुट को 10 सीटें मिलो हैं।
हिंदुत्व मुद्दे पर सफल रही बीजेपी
मुंबई के राजनीतिक जानकारों का कहना है कि इस विधानसभा चुनाव में बटेंगे, तो कटेंगे और एक हैं, तो सेफ हैं जैसे नारों से बीजेपी हिंदुत्व का ध्रुवीकरण करने में सफल रही। चुनाव में वह नारा निर्णायक साबित हुआ। इतकी झलक उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के विजयी भाषण में भी देखने कोमिली। सबसे पहले उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बटेंगे, तो कटेंगे का नारा दिया था। इस नारे को बाद में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संशोधित करते हुए एक हैं, तो सेफ हैं कर दिया। राजनीतिक समीक्षकों का कहना है कि बीजेपी ने इस नारे को पूरी आक्रामकता के साथ आगे बढ़ाया। इसका मूल उद्देश्य हिंदू वोटों का धुव्रीकरण था, क्योंकि पिछले लोकसभा चुनाव परिणाम के बाद से ही बीजेपी ने यह रुख साफ कर दिया था कि मुस्लिम वोट उनके पक्ष में नहीं आएंगे। इसकी काट के रूप में उन्होंने दोनों नारों को आगे किया। महाराष्ट्र में मोदी-योगी की जनसभाओं के माध्यम से हिंदुत्व के पक्ष में माहौल बनाया और रिजल्ट से साफ हो गया है कि इसका फायदा बीजेपी को मिला है। वहीं, कांग्रेस के राहुल गांधी का जातिगत गणना, आरक्षण , वाला कोई भी दांव नहीं चल पाया ।
मराठा की काट ओबीसी में मिली
विगत लोकसभा चुनाव में महाराष्ट्र में मराठा वोटरों ने एकमुश्त महाविकास आघाडी को वोट दिया था, इससे बीजेपी को बहुत तगड़ा झटका लगा था। बीजेपी ने मराठा वोटरों की काट के लिए ओबीसी को आरक्षण के नाम पर आगे किया। बीजेपी ने ओबीसी के चंद्रशेखर बावनकुले को पार्टी अध्यक्ष बनाया और माली, धनगर, बंजारा समुदायों को एकजुट कर चुनाव में उतारा। सरकार ने बंजारा विरासत म्यूजियम, धनगर समुदाय की वर्षों पुरानी मांग को मानते हुए अहमदनगर का नाम बदलकर अहिल्याबाई नगर रख दिया। उम्मीदवारों का चयन करते समय भी महायुति के दलों ने ओबीसी समाज का विशेष ध्यान रखा। मराठा प्रभुत्व वाले क्षेत्रों में ओबीसी समाज को एकजुट कर बीजेपी ने मराठवाडा, पश्चिम क्षेत्र और विदर्भ की लगभग 155 सीटों पर अपना हित साध लिया।
गेम चेंजर साबित हुई लाडकी बहीन योजना
ऐतिहासिक जीत में लाडकी बहीन योजना का रोल भी काफी महत्वपूर्ण रहा है। चुनाव से पहले महायुति सरकार ने महिलाओं के लिए शुरू की गई योजना को मुख्यमंत्री ने माझी लाडकी बहीण योजना को ‘गेमचेंजर’ बताया था और इसे पूरे प्रचार में एक अहम मुद्दा बनाया था। हुआ भी ऐसा ही लाडली बहनों ने भाइयों की झोली में ऐतिहासिक मत डाल दिया। यही कारण है कि महाराष्ट्र की उथल-पुथल की राजनीति पर अब विराम लगता दिखाई दे रहा है। महायुति की झोली लाडली बहनों ने भर दी है। यह योजना महायुति और एमवीए के लिए इस लिहाज से भी अहम रही दोनों ने इस योजना को अपने चुनावी घोषणापत्र में शामिल किया था। सत्ताधारी पक्ष ने इसे अच्छी तरह से भुना लिया। सत्ताधारी पार्टी के नेताओं ने महाराष्ट्र के नतीजों के पीछे लाडकी बहीण योजना को बताया है।
आंकड़े दे रहे प्रमाण
आंकड़े के अनुसार राज्य में कुल 66.05% मतदान दर्ज किया गया। महाराष्ट्र के इस चुनाव में 9.70 करोड़ से अधिक मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करने के लिए पात्र थे। इनमें से 5.00 करोड़ पुरुष, 4.69 करोड़ महिलाएं और 6,101 थर्ड जेंडर मतदाता थे। 2019 में महाराष्ट्र में कुल 61.44% वोटिंग दर्ज की गई थी। इस तरह से राज्य में पिछले विधानसभा चुनाव में मुकाबले 4.61% ज्यादा वोटिंग हुई। इस विधानसभा चुनाव में कुल मतदान में लगभग 4.6 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है, लेकिन इस वृद्धि में महिलाओं का योगदान अहम है।
ताबड़तोड़ ऐसे किया लागू
जानकार भी मानते हैं कि महाराष्ट्र की शिंदे सरकार ने राज्य की महिलाओं के लिए ‘माझी लड़की बहिन’ योजना लागू कर महिलाओं को इसका लाभ पहुंचाया, जिसकी वजह से महिलाओं की वोटिंग में काफी इजाफा हुआ। महाराष्ट्र में बीजेपी की आंधी को देखकर तो लग रहा है कि, महाराष्ट्र की महिलाओं ने महायुति पर भरोसा जताया है। इस योजना को चुनाव से ज्यादा पहले लागू नहीं किया गया था। इसलिए यह चुनौती थी कि कैसे इस योजना का लाभ ज्यादा से ज्यादा महिलाओं तक पहुंचाया जाए। सरकार ने इस योजना को महिलाओं तक जल्द से जल्द पहुंचाने के लिए काफी काम किया, जिसकी वजह से राज्य में महिलाओं की वोटिंग में काफी इजाफा हुआ
प्रचार के दौरान बनाया मुद्दा
सत्ताधारी महायुति ने अपने पूरे चुनाव प्रचार के दौरान माझी लाड़की बहिन योजना को चुनावी मुद्दा बनाकर इसका प्रचार किया था। सीएम एकनाथ शिंदे ने चुनावी अभियान में कहा था कि यह योजना चुनाव में सरकार के लिए गेमचेंजर साबित होने जा रही है। असर यह हुआ कि मुंबई, इसके उपनगरों और इसके आस-पास के जिलों में भी महिला मतदाताओं की संख्या में काफी वृद्धि देखी गई। इसमें ठाणे जिले व पालघर में वृद्धि देखी गई ।