दुर्ग। गुरमीत सिंह मेहरा। भिलाई में फिर एक बार निजी अस्पताल की लापरवाही का मामला सामने आया है। एक्सीडेंट के बाद इलाज के दौरान ढाई साल की बच्चे की मौत की सूचना न देकर सीधे परिजनो को शव सौंप दी, जबकि ऐसे मामलों में अस्पताल प्रबंधन पुलिस को सूचना देती है, जिसके बाद पोस्टमार्टम कराया जाता है, फिर शव परिजनों को सौंपा जाता है। परिजनों ने बच्चे को दफना दिया था। पुलिस को जब बच्चे की मौत की खबर लगी तो कुरुद के मुक्तिधाम में बच्चे का शव कब्र से बाहर निकाला और उसका वही पर तीन एक्सपर्ट डॉक्टर की मौजूदगी में पोस्टमार्टम कराया।
इस मामले में मृतक बच्चे विनय साहू के दादा खेमलाल साहू का आरोप है कि उन्हें इन सारी प्रक्रिया की जानकारी नहीं थी। अस्पताल वालों ने बच्चे का शव सौंप दिया और उन्होंने दो दिन पहले बच्चे के शव को दफनाकर उसका अंतिम संस्कार किया।
दरअसल दो दिनों पहले जामुल से अहिवारा के बीच नंदनी एरोड्रम के पास एक स्कूटी और बाइक के बीच जोरदार टक्कर हुई थी। इस हादसे में बाइक सवार बुजुर्ग की मौत हो गई थी। बुजुर्ग की पहचान ग्राम खपरी निवासी नारायण प्रसाद वर्मा (58 वर्ष) के रूप में की गई। नारायण प्रसाद वर्मा बाइक में सवार होकर भिलाई से अहिवारा आ रहे थे, तभी ये हादसा हुआ था। इस हादसे में स्कूटर चालक और पीछे बैठा उनका मासूम बेटा घायल हो गया। इलाज के दौरान मासूम बच्चे की मौत हो गई, जिसके बाद उनके शव को परिजनों ने दफनाकर अंतिम संस्कार किया था।
इस पूरे मामले में नंदिनी थाना प्रभारी मनीष शर्मा ने बताया कि बच्चे की मौत का कारण जानने पोस्टमार्टम कराना जरूरी था। इसी वजह से दो दिन बाद दफन बच्चे के शव को बाहर निकालना पड़ा। इधर पोस्टमार्टम टीम के इंचार्ज डॉक्टर ने बताया कि मौत का कारण जानने पोस्टमार्टम करना जरूरी होता है। इस मामले में निजी अस्पताल के ड्युटी डॉक्टर की जिम्मेदारी थी कि वे बच्चे की मौत के बाद पोस्टमार्टम के लिए पुलिस और परिजनों को इसकी सूचना देते। इधर इस पूरे मामले में पल्स अस्पताल प्रबंधन कुछ भी कहने से बचता रहा।