नया दल और नया मुखौटा भाजपा में जाने की मची होड़

भोपाल। (रमेश कुमार ‘रिपु’)। मध्यप्रदेश में दूसरे दल से भाजपा में शामिल होने का सिलसिला थम नहीं रहा है। पाला बदलने की राजनीति से आम लोग अब अजिज आ गए हैं। क्यों कि लोकसभा चुनाव से पहले लोगों के घर के सामने दलबदलुओं का बाजार लगने लगा है। लेकिन कोई यह नहीं सोच रहा है,कि मतदाताओं के गुस्से का वो शिकार भी हो सकते हैं। एक दूसरे को पूछ रहे हैं, कि तू कब भाजपा में जा रह है। तू कांग्रेस में क्यों जा रहा है। बहुत हो गया अब बसपा और सपा,छोड़ भी दो। एक पंडाल को छोड़ कर दूसरे पंडाल में जाने की जुगत में लगे नेताओं में कुछ ही जिले के लोग नहीं हैं।संभागीय मुख्यालय रीवा के अल्पसंख्यकों के रहनुमा और पूर्व जिला शहर कांग्रेस अध्यक्ष डाॅ मुजीब जो कि दो बार विधान सभा चुनाव भी लड़ चुके हैं। जीते नहीं,मगर कांग्रेस से हमेशा ज्यादा वोट पाया। उनके भाजपा में शामिल होने से रीवा जिले की मुस्लिम राजनीति में नया मोड़ आ सकता है। डाॅ मुजीब कहते हैं, कांग्रेस में बहुत सालों तक रहा। अब कांग्रेस में मुस्लिम नेताओं की पूछ नहीं है।राजनीति की बदलती हवा कहती है,भाजपा में जाने के अलावा और कोई विकल्प नहीं बचता। समाज सेवा करना है तो भाजपा में शामिल होना बेहतर समझा।

वहीं कांग्रेस के नेता कहते हैं,कि डाॅ मुजीब की धर्म निरपेक्षता की कलई खुल चुकी है। उनके कांग्रेस छोड़ने से हमारी पार्टी में कोई असर नहीं पड़ने वाला।गिनती के बड़े नेता बचेंगे..भाजपा में जाने वाले अकेले डाॅ मुजीब खान ही नहीं है बल्कि, पूर्व जिला ग्रामीण कांग्रेस अध्यक्ष और सेमरिया विधान सभा का चुनाव लड़ चुके त्रुयुगी नारायण भगत शुक्ला लोकसभा की टिकट विधायक अभय मिश्रा की पत्नी नीलम मिश्रा को दिये जाने पर नाराज होकर भाजपा में चले गए। उनका कहना था, कि महिला को टिकट देना ही था तो कविता पांडे को देते। अब कांग्रेस में अच्छे और सक्रिय कार्य कर्ताओं की पूछ परख नहीं है। शिवेन्द्र सिंह पूर्व नगर पंचायत सिरमौर,रामावतार यादव महामंत्री जिला कांग्रेस, जमुना यादव कांग्रेस पिछड़ा वर्ग पूर्व उपाध्यक्ष सहित कई लोाग भाजपा में शामिल हुए।

पूर्व विधान सभा अध्यक्ष श्रीनिवास तिवारी के निज सचिव और सहकारी बैंक के अध्यक्ष रमाशंकर मिश्रा भी भाजपा में शामिल हो गए। डिप्टी सी.एम.राजेन्द्र शुक्ला पूरी कोशिश में हैं कि लोकसभा चुनाव से पहले तक कांग्रेस के जितने भी बड़े नेता हैं वो भाजपा में आ जाए। दरअसल कांग्रेस छोड़कर भाजपा में जाने की शुरूआत विधान सभा से हुई। पूर्व सांसद सुन्दर लाल तिवारी के पुत्र सिद्धार्थ तिवारी को त्योंथर से कांग्रेस ने टिकट नहीं दिया तो वो भाजपा में चले गए। भाजपा ने उन्हें टिकट भी दे दिया। वो विधायक बन गए। अब श्रीनिवास तिवारी से जुड़े जितने भी कांग्रेसी हैं, सभी एक एक करके भाजपा में जाने लगे हैं। रीवा में 68सरपंच,19जनपद सदस्य और एक हजार कांग्रेस कार्य कर्ता कांग्रेस से इस्तीफा देकर बीजेपी में चले गए। यदि यह सियासी उपक्रम जारी रहा तो कांग्रेस में गिनती के बड़े नेता रह जाएंगे।

विचारधारा मायने नहीं रखती..

केन्द्र की बीजेपी सरकार चुनावी समर की तैयारी जिस तरह सरकारी एजेंसी के जरिए कर रही है। उससे कांग्रेसी नेताओं के साथ अन्य दल के नेताओं में भय है। वो यही मान कर चल रहे हैं,कि बीजेपी में चले जाने से उनका सियासी वजूद बना रहेगा। साथ ही उन्हें लगता है,कि आने वाला कल बीजेपी का ही है। चुनाव गैर बराबरी का मुकाबला है। इसलिए ऐसे लोगों के लिए विचारधारा कोई मायने नहीं रखती। उन्हें सत्ताई पार्टी के साथ रहना ज्यादा अच्छा लगता है। पूर्व गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा कहते हैं चुनाव तक 70 हजार से एक लाख कांग्रेसी बीजेपी में शामिल हो जाएंगे। जरूरी हुआ तो गिनीज बुक में नाम दर्ज कराएंगे।अभी तक पूर्व केन्द्रीय मंत्री सुरेश पचैरी सहित 6पूर्व विधायक,दो महापौर,207 पार्षद,सरपंच और 500 पूर्व जनप्रतिनिधियों सहित 17 हजार कांग्रेसी बीजेपी ज्वाइन कर चुके हैं। राहुल गांधी,प्रियंका गांधी और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ छिदवाड़ा के मेयर विक्रम अहाके की तारीफ किया करते थे,उन्होंने भी बीजेपी ज्वाइन कर ली। उनके साथ सभापति प्रमोद शर्मा ने भी पार्टी बदल ली। इससे पहले अमरवाड़ा विधायक कमलेश प्रताप शाह ने कांग्रेस छोड़ी थी। देवालपुर के पूर्व विधायक संजय शुक्ला और विशाल पटेल के बाद प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी के फुफेरा भाई बलराम ने भी बीजेपी की सदस्यता ले ली।

छिन्न भिन्न वाड़ा हुआ छिदवाड़ा

कमलनाथ के साथ 50 साल से रह रहे सबसे भरोसेमंद दीपक सक्सेना ने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया। उनके बेटे अजय ने बीजेपी ज्वाइन कर ली। 2018 में कांग्रेस सत्ता में आई और कमलनाथ को मुख्यमंत्री बनाया गया। तब वे विधानसभा सदस्य नहीं थे। उनके लिए प्रोटेम स्पीकर रहे दीपक सक्सेना ने फरवरी 2019 में पद से इस्तीफा देकर छिंदवाड़ा विधानसभा सीट खाली की थी। इसके बाद उपचुनाव जीतकर कमलनाथ विधायक बने थे। उस समय कयास लगाए जा रहे थे कि कमलनाथ के लोकसभा से इस्तीफा देने के बाद दीपक सक्सेना यहां से चुनाव लड़ेंगे, लेकिन कमलनाथ ने अपने बेटे नकुलनाथ को मैदान में उतारा। दीपक सक्सेना तभी से कांग्रेस में अपने आपको उपेक्षित महूसस कर रहे थे। दीपक के बेटे अजय कहते हैं कि नकुलनाथ के सांसद बनने के बाद छिंदवाड़ा में पार्टी की कार्यप्रणाली बदल गई थी। मैंने अपनी नाराजगी कमलनाथ जी को बता दी थी। कमलनाथ हमारे पिता के समान हैं। उनसे कोई नाराजगी नहीं है, लेकिन ये वक्त बीजेपी का है।मुख्यमंत्री डाॅ मोहन यादव कहते हैं छिदवाड़ा अब हमारे लिए छिन्न भिन्न वाड़ा हो गया है। अब यहां भी कमल खिलेगा।

जीतने का मंत्र कैलाश से सीखें..

पूर्व प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष सुरेश पचैरी कहते हैं,कैलाश विजयवर्गीय से हमें मंत्र सीखना चाहिए कि चुनाव लड़ें तो जीता कैसे जाता है। भगवान श्रीराम की प्राण प्रतिष्ठा को आयोजन पर मिले निमंत्रण पर अमर्यादित भाषा का इस्तेमाल कर ठुकरा दिया गया। मुझे अघात लगा। मैं शुरू से अयोध्या में राम मंदिर बने इसका पक्षधर रहा। कभी कांग्रेस में एक नारा लगा करता था। न जात पर न पात पर,मोहर लगेगी हाथ पर। अब इस नारे को दरकिनार कर दिया गया है। इन दिनों राजनीति से जाति जा नहीं रही है। जाति को अहमियत दी जा रही है। किस जाति के नेता को अपने दल में शामिल करने से कितना फायदा होगा। इसका आकलन किया जाता है।

दलाली करने वाले जा रहे..

कांग्रेस छोड़कर भाजपा में जा रहे नेताओं को लेकर जुबानी जंग जारी है। भोपाल में मुख्यमंत्री डाॅ मोहन यादव ने कहा,कांग्रेस से बड़ी संख्या में लोग भाजपा में आकर सुकून महसूस करते हैं। राजनीतिक दृष्टि से सकारात्मक तरीके से काम करने की प्रणाली सभी को आकर्षित करती है।उधर आगर.मालवा जिले में पूर्व मुख्यमंत्री व राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह ने कहा राजनीति विचारधाराओं की लड़ाई होती है। जो छोड़कर जा रहे हैं उन्हें धंधा करना है। दलाली करनी है। लेकिन वे अकेले ही जा रहे हैं जनता उनके साथ नहीं जा रही।

एडजस्ट नहीं करेंगे…

बीजेपी में कांग्रेसियों के आने का साइड इफेक्ट तो शुरू नहीं हो गया,मीडिया के इस सवाल पर पूर्व मंत्री व छतरपुर से विधायक ललिता यादव ने कहा था हमारे पास इतनी अच्छी मेडिसिन है कि भाजपा को कोई साइड इफेक्ट नहीं होगा। कांग्रेस से बीजेपी में आने वाले नेताओं को एडजस्ट होना पड़ेगा,एडजस्ट नहीं करेंगे। पूर्व मंत्री भूपेंद्र सिंह ने भाजपा के एक कार्यक्रम में कहा, ग्वालियर में अमित शाह कार्यकर्ताओं से चुनाव को लेकर बातचीत कर रहे थे। एक कार्यकर्ता ने पूछा. साहब जो ये नई भर्ती हो रही है इसका क्या करें। इसके जवाब में शाह ने कहा. ऐसे लोग हाथ उठाओ जिनको पार्टी में काम करते 15 साल हो गए। बहुत लोगों ने हाथ उठा दिए। शाह ने कार्यकर्ताओं से पूछा,तुम्हें 15 साल में क्या मिला। कार्यकर्ताओं ने कहा,कुछ नहीं मिला। इस पर शाह बोले,जब तुम्हें 15 साल में कुछ नहीं मिला तो जिनको आज 15 दिन हुए, उनको क्या ही मिलेगा।कांग्रेस ने दलबदलुओं पर बोला हमला..लोकसभा चुनाव के पहले बीजेपी में शामिल हो रहे कांग्रेसियों को लेकर कांग्रेस में हलचल है तो वहीं बीजेपी के पुराने नेता और कार्यकर्ता अपने भविष्य को लेकर चिंतित हैं। कांग्रेस मीडिया विभाग की उपाध्यक्ष संगीता शर्मा ने भूपेन्द्र सिंह के इस भाषण का वीडियो शेयर करते हुए लिखा कांग्रेस छोड़कर भाजपा में जाने वाले नेता और कार्यकर्ता इस वीडियो को जरूर सुनें। क्योंकि ये हम नहीं भाजपा नेता स्वयं बोल रहे हैं।

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