रीवा। समशेर सिंह गहरवार | केंद्रीय शास्त्रीय तमिल संस्थान, चेन्नई तमिलनाडु में आयोजित तमिल नैतिक पुस्तक “तिरुक्कुरल” पर 3 से 9 अक्टूबर तक आयोजित किया गया। जिसमें मध्य प्रदेश रीवा जिले के शासकीय माधवराव सदाशिव गोवलकर महाविद्यालय के प्रोफेसर डॉक्टर स्कंद मिश्रा शामिल हुए। मिश्रा के द्वारा सात दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला में मध्य प्रदेश का प्रतिनिधित्व करते हुए “तिरुक्कुरल में विज्ञान के तत्व एवम जीवन के नैतिक मूल्यों में प्रासंगिकता” विषय पर ब्याखान प्रस्तुत किया। ज्ञात हो की “तिरुक्कुरल पुस्तक” तमिल संत कवि तिरुवललुवर द्वारा रचित जीवन के नैतिक मूल्यों पर आधारित पुस्तक है। जो की लगभग ढाई हजार वर्ष पूर्व लिखी गई है।
पुस्तक में तीन खंड धर्म, अर्थ, काम में कुल 1330 कुरल ( दोहे) है। जो तमिल भाषा में पद्य रूप में है। इस पुस्तक को तमिल का वेद कहा जाता है तथा यह तमिल संस्कृति की प्रमुख पुस्तक है। जिसने तमिल क्षेत्र के नैतिक मूल्यों ,जनजीवन , संस्कृति को पल्लवित और पुष्पित किया है। प्रो . स्कंद मिश्रा ने अपने ब्याखान में तिरुक्कुरल में पद्यो में विज्ञान के सूत्रों के अंतर्गत वर्षा, जल,जीव विज्ञान, कृषि विज्ञान, आयोषाधि विज्ञान, सैन्य विज्ञान सहित आदि जीवन के नैतिक मूल्यों से संबंधित शिक्षाओं पर प्रकाश डाला। साथ ही तकनीकी सत्र की अध्यक्षता की। इस अवसर पर संस्थान के डायरेक्टर प्रो. चंद्रशेखर एवम रजिस्ट्रार डॉ. भुवनेश्वरी द्वारा उन्हें सम्मानित किया गया।
केंद्रीय शास्त्रीय तमिल संस्थान चेन्नई द्वारा तिरुक्कुरल नैतिक पुस्तक का अनुवाद भारत सहित विदेश के मुख्य एवम क्षेत्रीय भाषाओं, बोलियों में कराया जा रहा है। जिससे तिरुक्कुरल पुस्तक में बताई गई शिक्षाओं का लाभ संपूर्ण विश्व के लोगो तक पहुंचें और लोक मंगलकारी हो। कार्यक्रम में भारत के 22 राज्यो के प्रतिनिधिगण सहित विषय विशेषज्ञों ने भाग लिया।