नकली,मिलावटी,खाद बीज से पटा बाजार : मनमानि कीमत वसूल रहे कारोबारी

रीवा । समशेर सिंह गहरवार । रबी बोनी सीजन के दौर में हर वर्षों की भांति इस वर्ष भी जिले के किसान खाद व बीज के संकट से जूझ रहे हैं। वजह है कि सरकारी संस्थाओं में डीएपी खाद बीज मिल ही नहीं पा रहा है। जिसका फायदा उठाते हुए व्यापारी वर्ग शहर से लेकर हर कस्बों में नकली, मिलावटी, महंगे दामों पर खाद बीज बेचने जुटे हैं। यह मिलावटी खाद्य सामग्री कहां से आती है कैसे तैयार हो जाती है। गांव में बैठे व्यापारी कैसे महंगे दामों पर बेच रहे हैं । यह किसी को पता नहीं है कि यह कहां से आ रही है। कस्बों ,,गांवों में व्यापारीयों ने नकली मिलावटी खाद बीज बेचने का एक तरीका बना लिया है। किसान से पैसा जमा करा लेते हैं फिर दो चार दिन बाद निर्धारित बोरी में पैक कर वहीं खाद, बीज उपलब्ध कराते हैं । जो खेतों में डालने एवं बोनी के बाद घुलती नहीं और उपज नहीं होती।

सरकारी आम जनता को खाद बीज उपलब्ध कराने में असफल होने लगी है। पता चला है कि सर्वाधिक खाद गुजरात में बनती है । वहां से आने वाली खाद रैंक आने के बाद रातोंरात कहां गायब हो जाती है यह कुछ निर्धारित लोगों को ही पता रहता है। रीवा जिले में व्यापारियों के बड़े,, बड़े गोदाम है। जहां आने वाली खाद उतर जातीं हैं । फिर वही खाद में मिलावट और बोरी बदलने का कारोबार करने का धंधा शुरू होता है। मंनगवा, मनिकवार ,गढ़, गंगेव, गुढ़ सिरमौर बैकुंठपुर में सैंकड़ों ट्रक खाद व्यापारियों के पास पहुंच रही है। जो मनमानी कीमत पर बिक रही हैं। इस संबंध में कुछ लोगों का अपुष्ट रूप से कहना है कि सरकारी मोहकमों में बैठे लोगों द्वारा महंगे दामों पर बाजार से खाद बीज खरीदने की विवशता जानबूझकर पैदा कर देते हैं। पहले डिमांड लेटर नहीं भेजते और बाजार में माल आ जाता है।

खाद बीज की मांग जब किसानों की बढ़ती है तब जिला प्रशासन डिमांड करते हैं तो कंपनी से लोड होने, रैक आने में महीने भर बीत जाता है। इधर फसलों की बोनी का समय होने पर किसानों को बाजार से महंगी एवं मिलावटी खाद बीज खरीदने की मजबूरी पैदा कर दी जाती है। रीवा जिले में खाद बीज के लिए शासकीय गोदाम,,बीज निगम में पन्द्रह दिन से हजारों की भीड़ लगी रहती है। तमाम हंगामा मचा हुआ है कोई भी मंत्री या सरकार का प्रतिनिधित्व करने वाले शासकीय खाद बीज गोदाम में किसानों की समस्याएं सुनने नहीं जातें। उन्हें पता रहता है हमारी कोई अहमियत नहीं है यह लूट खसोट का उच्च स्तर पर निर्धारण है ,जो किसानों की कमर तोड़ने के लिए काफी है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *