जकात देने जरूरतमंद पहले अपने रिश्तेदारों में तलाशो और खुद जाकर दो : मुफ्ती सोहेल

भिलाई | मिनल केडेकर | मरकजी मस्जिद पावर हाउस कैंप-2 में जुमा की नमाज़ के बाद दारुल कजा दुर्ग-भिलाई के काजी मुफ्ती मोहम्मद सोहेल ने जकात पर एक वर्कशॉप ली। माहे रमजान के इस खास मौके पर जकात की अहमियत बताते हुए काजी शहर भिलाई दुर्ग मुफ्ती सोहेल ने बताया कि इस्लाम में हर इबादत बालिग होने पर फर्ज होती है। इस्लाम के पांच खास अरकान में एक जकात भी है लेकिन वो जिसकी हैसियत हो, उसे देनी पड़ेगी यानि जकात माल (रुपया पैसा), खेती की पैदावार, जानवर सब पर अलग-अलग हैं। इस दौर में ज्यादातर रुपए-पैसे पर जकात निकाल कर उसके जरूरतमंद लोगों को दी जाती है।

जकात के निसाब पर उन्होंने बताया कि शरीयत में जिसके पास साढ़े सात तोला सोना हो या साढ़े बावन तोला चांदी या इसके बराबर की रकम मौजूद है ओर उस पर एक साल पूरा हो गया हो, उसे उस माल की जकात निकालना वाजिब है। इसके मुस्तहिक लोगों में ऐसे मदारिस जहां तलबा दीनी तालीम हासिल कर रहे हो ,औरत जो बेवा हो और जिसकी कमाई का कोई सहारा नहीं,यतीम जिसके मां ओर बाप ना हो ,मिस्कीन जिसके पास कुछ ना हो, फ़कीर जो एक वक्त का खाना हो या कर्जदार ऐसा जो काम कारोबार कर रहा था उसका कारोबार डूब गया ओर वो कर्जदार हो गया हो शामिल हैं।

मुफ्ती सोहेल ने बताया कि सबसे अच्छा तो अपने रिश्तेदारों में ऐसे लोगों को तलाश करो ओर खुद जाकर जकात दो।उन्होंने कहा कि अल्लाह के प्यारे नबी हजरत मोहम्मद सल्लाहो अलैहि वसल्लम ने बताया कि जकात से माल (दौलत) को पाकीजगी मिलती है। मुफ्ती सोहेल ने कहा कि निसाब पूरा करने वाले को साल भर की जमा पूंजी पर अढ़ाई फीसदी (2.5%) निकाल कर बेवा ग़रीब, फ़कीर, यतीम, मिस्कीन और कर्जदार को देना और दीनी मदारिस जहां तलबा दीनी तालीम हासिल कर रहे हो को देना चाहिए।मुफ्ती सोहेल ने बताया कि इस्लाम में जकात को अल्लाह ने साहिबे निसाब को फ़र्ज़ किया। इसके अदा नहीं करने वाले को कडी सजा का प्रावधान है।

अल्लाह के नबी हज़रत मोहम्मद सल्लाहु अलैहिसल्लम ने बताया कि जिसका खुलासा ये है कि जकात अदा नहीं करने वाले को उसके माल का तौक (आग के अंगारों की लड़ी) पहनाया जाएगा। जकात निकालने से समाज में गरीब तबके की। आर्थिक स्थिति को ऊपर उठाने बडा मुकाम हासिल है।मुफ्ती सोहेल ने कहा किसी गरीब को मालदार आदमी अपनी जकात से कारोबार में लगा दे, जिससे वो मेहनत करके आनेवाले साल ख़ुद जकात देने वाला बन जाए।

मुफ्ती सोहेल ने बताया कि सही मायने में अगर मालदार साहिबे निसाब आदमी जकात निकालना शुरू कर दिया जाए तो शायद ही कोई गरीब बचे लेकिन जानकारी के अभाव में लोग पूरी जकात निकल नहीं पाते हैं और जिन्हें पता है वे निकालते भी है। इस वर्कशॉप में मरकजी मस्जिद के इमाम हाफिज कासिम, सदर मोहम्मद असलम, सेकेट्री मदरसा जामिया अरबिया भिलाई सैय्यद असलम, नायब सदर इमामुद्दीन पटेल, नायब सेकेट्री मोहम्मद अकरम,निजामुद्दीन अंसारी हाफिज सईद,अहमद मोनू, हाफ़िज़ मोनू आजम खां, हाफिज आबिद,एडवोकेट शब्बीर अंसारी, हाफ़िज़ इनाम, अब्दुल हई,हाजी कलीमुद्दीन, सैयद अहफाज,शोएब अहमद कुरैशी, ताहिर,जफर कुरैशी,युसूफ सिद्दीकी,अजहर कुरैशी,उजैर,इकबाल,तमयुजीदुदीन पटेल,मोहम्मद असलम,जमीर भाई,उमर पटेल,अब्दुल्लाह,अशरफ,शाकिर बेग और जाहिद बेग सहित तमाम लोग मौजूद थे।

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