रीवा। समशेर सिंह गहरवार | जीवन के सुचारू रूप से संचालन हेतु हमारे तन के साथ मन का भी स्वस्थ्य होना आवश्यक है। प्रत्येक वर्ष 10 अक्टूबर को दुनिया के समस्त देशों में “विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस” के रूप में मनाया जाता है। इस दिवस का उद्देश्य है कि मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े मुद्दों के बारे में जागरूकता बढ़ाना, आम जन के मानसिक स्वास्थ्य के लिए शासन द्वारा आवश्यक संसाधन व इलाज तक पहुंच बनाना तथा मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े लोगों को सम्मान देना , साथ ही दुनिया भर में मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं के गुणवत्ता में सुधार करना। मानसिक बीमारी एक बड़ी स्वास्थ्य समस्या है, क्योंकि वैश्विक स्तर पर इससे हर पांचवा वयस्क व्यक्ति प्रभावित होता है।
मानसिक स्वास्थ्य एक मानव अधिकार है। इस बीमारी का इलाज संभव है व इससे अधिकांश लोग ठीक होकर खुशहाल जीवन व्यतीत करते हैं। कई बार मानसिक बीमारियों की शुरुआत बचपन से होती है व अधिकांश प्रकरण में बीमारी युवकों को प्रभावित करती है। विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस वर्ष 2024 की थीम है कार्यस्थल में मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता देने का समय है। समस्त उद्योग, जिला प्रशासन, समस्त जनप्रतिनिधियों व समाजसेवी संगठन को थीम के अनुरूप कार्य योजना बनाना चाहिए।
मानसिक रोगों के प्रकार
मानसिक रोगों में चिंता, अशांति, व्यक्तित्व विकार, भोजन विकार, शराब व नशीली दवाइयों के सेवन से संबंधित विकार, अवसाद, शिजोफ्रेनिया प्रमुख हैं।प्रत्येक बीमारी ब्यक्ति के विचारों,भावनाओ व ब्यवहार को अलग अलग ढंग से बदल देती है।मनोरोग चिकित्सक विभिन्न समस्याओ का पृथक पृथक प्रबंधन करते हैं।
यह है मानसिक रोगों के कारण
मनुष्य में जिन कारणों से मानसिक रोग होते हैं उनमें प्रमुख है_ अनुवांशिकता, नशीली दवा व शराब का उपयोग, हार्मोन का प्रभाव, घरेलू हिंसा, सामाजिक अलगांव, संबंध टूटना, आर्थिक समस्याएं, आत्म सम्मान में कमी, प्रियजन की मृत्यु, मधुमेह, गंभीर चोट,अव्यवस्थित दिनचर्या, समय में भोजन न लेना, अपर्याप्त नींद।
मानसिक बीमारी में लक्षण
लोगों में जिन लक्षणों के आधार पर मानसिक रोगों की पहचान होती है वह है_ उदास रहना, भ्रमित सोच, अत्यधिक भय या चिंता, मूड में परिवर्तन, परिवार जन व मित्रों से दूरी, थकान व अनिद्रा, शराब व नशीली दवा की समस्याएं, खान पान की आदतों में बदलाव, सेक्स में अरुचि, आत्महत्या के विचार, व्यक्तिगत स्वच्छता का अभाव, धर्म व मृत्यु के बारे में बार-बार चर्चा, कार्यस्थल में कार्य में रुचि न रखना। कई बार अल्जाइमर बीमारी व पार्किंसन के साथ कुछ शारीरिक लक्षण परिलक्षित होते हैं जैसे पेट दर्द, पीठ दर्द, सिर दर्द आदि।
मानसिक बीमारी व जटिलताएं–
कई मानसिक बीमारियों के कारण व्यक्ति विकलांग हो सकता है। दीर्घकालिक बीमारी के कारण प्रमुख जटिलताओं में जीवन के आनंद में कमी ,पारिवारिक संघर्ष, रिश्ते की कठिनाइयां, सामाजिक एकांत, नशे (तंबाकू, धूम्रपान ,शराब) से होने वाली समस्याएं स्कूल या कार्य में अरुचि, कानूनी व वित्तीय समस्याएं ,गरीबी व बेघर होना, दूसरे की हत्या या आत्महत्या करना, विभिन्न बीमारियां (पेट रोग ,हृदय रोग ,कुपोषण) होना व रोग प्रतिरोधक क्षमता में कमी होना है।
चल रहे हैं मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम
चिकित्सा विशेषज्ञ एवं पूर्व क्षेत्रीय संचालक डॉक्टर बी एल मिश्रा के अनुसार भारत में मापदंड अनुरूप मानसिक चिकित्सालयों व चिकित्सकों की कमी को दृष्टिगत रखते हुए वर्ष 1982 से राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम की शुरुआत हुई है। देश में वर्तमान में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन अंतर्गत जिला स्तर से हेल्थ वेलनेस सेंटर (उप स्वास्थ्य केंद्र ) तक मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार किया गया है जिसे और मजबूत करने की आवश्यकता है । इन रोगियों में भी आम बीमारियों की तरह एनीमिया की जांच, ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, थाइरॉएड की जांच होना चाहिए। मरीज की जांच समय-समय में मनो चिकित्सक से कराना चाहिए । बीमारी के नियंत्रण हेतु समय-समय में संतुलित भोजन, नियमित व्यायाम , 7 से 8 घंटे की नींद, मेडिटेशन, परिवार जन व मित्रों के बीच समय बिताना , समाचार पत्र व धार्मिक पुस्तक पढ़ना अपने पसंदीदा कार्य करना चाहिए।